बोलो राम राम
बोलो राम राम सिया राम,
लखन जी,
राम राम सिया राम।
राम कहेंगे सिया राम कहेंगे,
भजेगें सुबहो शाम।
बोलो राम राम सिया . . . . . .
हाथ जोड़ कर खड़ा है ये जग,
तुम तो हो, प्रभु दाता।
पापी दुखियो के भाग संवारो,
ऐ मेरे भाग्य विधाता।
राम कहेंगे तुझे श्याम कहेंगे,
करेगें हम परणाम।
बोलो राम राम सिया . . . . . .
तुम तो हो प्रभु नाथ जगत के,
हम है तुम्हारे दासा।
दुख संताप को दूर करो प्रभु,
आये शरण लेके आशा।
कष्ट मिटेंगे संताप रहेंगे,
बनेंगे बिगड़े काम।
बोलो राम राम सिया . . . . . .
मुट्ठी बांध के आये हैं,
और हाथ पसारे जायेंगे।
मोह माया का बंधन है,
सब यहीं छुट्ट जायेंगे।
क्या लाया है क्या ले जायेगा,
धरे रहेंगे धन धान।
बोलो राम राम सिया . . . . . .
नेताम आर सी