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19 Nov 2020 · 1 min read

बोलो ! क्या मुझको मेरा अधिकार दिला पाओगे तुम ?

सत्ता पर आरूढ़ जनों तुम,
गूढ़ और मतिमूढ़ जनों तुम,
हाथ तुम्हारे भाग्य देश का सौंप दिया है लेकिन बोलो !
क्या इस देश को एक उचित आकार दिला पाओगे तुम ?

बोलो ! क्या मुझको मेरा अधिकार दिला पाओगे तुम ?

यह सड़कों पर रहता जीवन,
यह काँटों में पलता उपवन,
भीख माँगते भूखे बच्चों की जल से पूरित आँखों को,
क्या उनके सपनों वाला संसार दिला पाओगे तुम ?

बोलो ! क्या मुझको मेरा अधिकार दिला पाओगे तुम ?

चारों तरफ़ ख़ून की होली,
और ख़ून से बनी रंगोली,
भड़काया दंगों को किसने,ये तो याद मगर है बोलो !
उसमें मुझसे बिछड़ा मेरा यार दिला पाओगे तुम ?

बोलो ! क्या मुझको मेरा अधिकार दिला पाओगे तुम ?

Language: Hindi
1 Comment · 457 Views
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