Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jan 2024 · 1 min read

अमीरों की गलियों में

क्योंकि रहा हूँ मैं उनके मकानों में,
रोशनी से नहाते हुए झरोखों में,
बैठा हूँ हमेशा उनकी महफ़िलों में,
और उनके साथ बैठकर,
कभी उड़ाई है दावत भी ll

हाँ, हमेशा मेरी आदत रही है,
दिखाना खुद को इज्जतदार,
खाते पीते घर का चिराग,
और मुझको पसंद नहीं रहा कभी,
मलिन और टूटे – फूटे घरों में रहना,
अनपढ़ और मुफलिसों से दोस्ती करना ll

इसलिए रहा हूँ मैं हमेशा ही,
शूट- बूट पहनकर,
और देखा है उनको नजदीक से,
उनके घर में रहते हुए भी,
उनके दरवाज़े पर लगा हुआ ताला,
और उनकी स्त्रियों को ताले में बंद ll

अय्याशी और दो नंबर के उनके काम,
इंसानों से ज्यादा कुत्तों को महत्व देकर,
उनके द्वारा कुत्तों को दूध पिलाते हुए,
कुत्तों को अपने सीने से लगाते हुए,
उनके द्वारा उनकी सुरक्षा के लिए,
ताकि गुजर नहीं सके कोई अजनबी,
उन अमीरों की गलियों से कभी भी ll

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी. आज़ाद
तहसील एवं जिला – बारां (राजस्थान )

Language: Hindi
92 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आचार संहिता
आचार संहिता
Seema gupta,Alwar
*जी लो ये पल*
*जी लो ये पल*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
■ संडे इज़ द फंडे...😊
■ संडे इज़ द फंडे...😊
*Author प्रणय प्रभात*
रिश्ते चंदन की तरह
रिश्ते चंदन की तरह
Shubham Pandey (S P)
मतलब भरी दुनियां में जरा संभल कर रहिए,
मतलब भरी दुनियां में जरा संभल कर रहिए,
शेखर सिंह
*रोते बूढ़े कर रहे, यौवन के दिन याद ( कुंडलिया )*
*रोते बूढ़े कर रहे, यौवन के दिन याद ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
***
*** " नाविक ले पतवार....! " ***
VEDANTA PATEL
क्या अब भी किसी पे, इतना बिखरती हों क्या ?
क्या अब भी किसी पे, इतना बिखरती हों क्या ?
The_dk_poetry
नारी जीवन
नारी जीवन
Aman Sinha
हिन्दी
हिन्दी
manjula chauhan
सोचा होगा
सोचा होगा
संजय कुमार संजू
जो बनना चाहते हो
जो बनना चाहते हो
dks.lhp
आप आज शासक हैं
आप आज शासक हैं
DrLakshman Jha Parimal
मुस्कुराते रहो
मुस्कुराते रहो
Basant Bhagawan Roy
दस्तक भूली राह दरवाजा
दस्तक भूली राह दरवाजा
Suryakant Dwivedi
अयोध्या धाम
अयोध्या धाम
Mukesh Kumar Sonkar
मदनोत्सव
मदनोत्सव
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
रंग भरी पिचकारियाँ,
रंग भरी पिचकारियाँ,
sushil sarna
कम आ रहे हो ख़़्वाबों में आजकल,
कम आ रहे हो ख़़्वाबों में आजकल,
Shreedhar
3183.*पूर्णिका*
3183.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"कहीं तुम"
Dr. Kishan tandon kranti
रमेशराज के साम्प्रदायिक सद्भाव के गीत
रमेशराज के साम्प्रदायिक सद्भाव के गीत
कवि रमेशराज
फूल सी तुम हो
फूल सी तुम हो
Bodhisatva kastooriya
Forgive everyone 🙂
Forgive everyone 🙂
Vandana maurya
सच के सिपाही
सच के सिपाही
Shekhar Chandra Mitra
कदम बढ़े  मदिरा पीने  को मदिरालय द्वार खड़काया
कदम बढ़े मदिरा पीने को मदिरालय द्वार खड़काया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
माया
माया
Sanjay ' शून्य'
संवेदनहीन
संवेदनहीन
अखिलेश 'अखिल'
dream of change in society
dream of change in society
Desert fellow Rakesh
सवाल ये नहीं
सवाल ये नहीं
Dr fauzia Naseem shad
Loading...