बोझ
जितने लोगों से मिला
सबके सिर पर बोझ थे
मैं सोचता रह गया
हाय ! यह कैसा संसार
होगा कैसे लोगों का
इस बोझ से उद्धार ?
जितने सजे-धजे लोग दिखे
उन सबके सिर पर
दोहरे-तिहरे टोकरे थे
कुछ धन का, कुछ भ्रम का
किसी के पास साँसों का
किसी के पास ज्ञान का
किसी के पास अभिमान का।
कम हैसियत वालों के पास
बोझ कम थे
पर मैंने महसूस किया
शायद वो अधिक वजन थे
उसके सिर पर थे
पूरे परिवार के बोझ के टोकरे
रोटी कपड़ा मकान जैसी
ढेरों जिम्मेदारियों से भरे पड़े।
बावजूद निश्चित तौर पर
कह नहीं सकता कि
किस टोकरे में थे ज्यादा बोझ
मैं ही अकेला क्यों सोचूँ
जरा आप भी तो सोच?
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
ग्लोबल ह्यूमन्स राइट्स फाउंडेशन द्वारा
भारत के 100 महान व्यक्तित्व में शामिल
एक साधारण व्यक्ति।