बेहतर कल
पाने को एक बेहतर कल
उद्यम की ली है राह पकड़
इन राहों की नींदों को
बोला कुछ विश्राम कर
भेदने रात का कम्बल
सूर्य क्षितिज में गया निकल
पंछी ने उड़ने से पहले
समेटे अपने सारे पर
जड़ की जीवन-इच्छा ने
काट डाले हैं पत्थर
तीव्र खोज के बाद कुदरत
दे देती मरूभूमि में जल