एक ऐसा जहान
मिट जाती है इश्क़ में हर नफ़रत दिल से
ना होती इश्क़ में किसी से शिकवा कोई
बन जाती है इश्क़ में तन्हा ये जिन्दगानी
जब रह जाती है ख्वाहिशें दिल में दबी
जाती नहीं इश्क़ में तड़प दिल से कभी
ना जाती है दीवानगी जान देकर भी कभी
कौन सी दुनियां है वो… बता ए मेरे खुदा!
जहां से सदाएं भी वापस आती नहीं
होती है मुकम्मल हर मुरादें दिल की जहां
जहां इश्क में दो दिल कभी बिछड़ते नहीं।
~ Silent Eyes