बेशक नहीं आता मुझे मागने का
बेशक नहीं आता मुझे मागने का
सलीका ….
पर तू तो इंसान की शह रग से भी ज्यादा
करीब है……
तू जानता है मेरे रब देने का तरीक़ा
कहीं देता है हिसाब से
और कहीं बेहिसाब दे देता है
जिसको चाहे जिल्लत देता है
और जिसको चाहे इज़्ज़त बख़्श देता है
तेरी कुदरत के हम है कुर्बान
तेरी जात है अफजल औ आला
तेरी कोई नहीं मिसाल
तेरा कोई नहीं जवाब ………..
रखना हमे नेकी की राह प़र
ताकि हो हमारे सारे गुनाह मुआफ