बेरहमी
हाड़-मांस का पुतला ही है
दुनिया की सारी औरतें
कोई मशीन नहीं,
बावजूद सारे जमाने को
क्यों यह यकीन नहीं ?
इंसानी जिन्दगी में
तमाम रंग भरने वाली औरत
खुद बेरंग जिन्दगी जीने लगी है,
पति, परिवार और औलाद
सबकी उपेक्षाओं ने ही
कुम्भ के धार्मिक मेलों
और गंगा के घाटों में
बूढ़ी, विधवा, बीमार औरतों को
बेरहमी से ढकेलने लगी है।
नारी शक्ति पर आधारित ‘आधी दुनिया’ के बाद
द्वितीय एवं कुल 19 वीं प्रकाशित काव्य-कृति :
‘बराबरी का सफर’ से,,,,
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
हरफनमौला साहित्य लेखक।