बेटी
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विधा—–गीतिका
छंद——पदपादाकुलक छंद
मात्रा भार—16
समान्त—–आना
पदान्त——है
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शीर्षक—-बेटी
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बेटी का मान ————बढ़ाना है।
इनके अधिकार ——-दिलाना है।
उपहार खुदा————का है बेटी,
सब हुनर जिसे——सिखलाना है।
हो भेद न —– लड़के लड़की में
अब यह अन्याय——-मिटाना है।
गर्भस्थ पुत्री जो है———-उसको,
जीवन संसार ———दिखाना है।
पोषण कर बेटी का ——-इनको
आयाम नये दिलवाना ——– है।
ममता को जन्म दिया —–तनया
धरती मे इसे ———–बसाना है।
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नीरज पुरोहित रूद्रप्रयाग(उत्तराखण्ड)