बेटी की शादी
बेटी की शादी
बेटी की शादी का जबसे विचार, देखो मेरे मन में आया है।
बदल गया है वातावरण हमारी धर्मपत्नी ने हमें बताया है।।
बहू बेटा और बेटी दामाद सभी पर नशा शादी का छाया है।
सब अपनी अपनी धुन में हैं, सब ने ज़िम्मेदारी का बीड़ा उठाया है।।
खोज शुरू हो गई लड़के की इस खोज ने पागल मुझे बनाया है।
सुन सुन कर बातें लड़कों की, मेरा माथा बहुत चकराया है।।
घर के माहौल का भारीपन जब लड़की की समझ में आया है।
तब हाथ मेरे कंधे पर रख कर, बेटी ने मेरा हौंसला बहुत बढ़ाया है।।
बोली पापा तुमने मुझे पढ़ा लिखा कर इतना काबिल तो बनाया है।
बस बात करो उस लड़के से को मेरी काबलियत देख मांगने आया है।।
जिसे कद्र नहीं है मेरी उसके घर में मैं कैसे सुख से रह पाऊंगी।
जो मेरी काबलियत को पहचानेगा उसके संग मैं खुशी से ब्याह रचाउंगी।।
कहे विजय बिजनौरी सभी मात पिता से अपनी बेटी का सम्मान करो।
सोचो समझो और पढ़ा लिखा कर बेटी को काबिल बनाने पर ध्यान करो।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।