Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 May 2022 · 1 min read

‘बेटियाॅं! किस दुनिया से आती हैं’

ममता के सदन में
किलकारियाॅं भर जाती हैं।
अपनी नव-चेतना से
दुश्वारियाॅं हर जाती हैं।
रौनक से घर को भर,
हॅंसती-खिलखिलाती हैं।
बेटियाॅं भी जाने किस
दुनिया से आती हैं।।

कभी ना झुंझलाती,
न बातों में उलझाती हैं।
समय पर लाडो बन,
दवा भी खिलाती हैं।
कभी-कभी यूॅं ही बस
गले लग जाती हैं।
बेटियाॅं भी जाने किस
दुनिया से आती हैं।।

जीवन के पेंचोख़म
पल में समझ जाती हैं।
अस्मत पर आती तो
शिला बन जाती हैं।
दुश्मनों के सामने न
हौंसला डिगाती हैं।
बेटियाॅं भी जाने किस
दुनिया से आती हैं।।

हुलस-हुलस दादी औ
नानी को रिझाती हैं।
छोड़ती हैं मायका तो
सभी को रूलाती हैं।
नैहर की देहरी पर
शीश वो नवाती हैं।
बेटियाॅं भी जाने किस
दुनिया से आती हैं।।

कितनी दुलारी हों
भूल मगर जाती हैं।
बंदिशें ससुराल की भी
खूब वो निभाती हैं।
सेवा में अपनों की
ख़ुद को बिसराती हैं।
बेटियाॅं भी जाने किस
दुनिया से आती हैं।।

मायके की यादें
ससुराल में छुपाती हैं।
बिना गिले-शिकवों के
रिश्ता हर निभाती हैं।
पीढ़ियों को जोड़ने में
ख़ुद भी बिखर जाती हैं।
बेटियाॅं भी जाने किस
दुनिया से आती हैं।।

पूरी कर देती हैं,
सपनों की अल्पना को।
ललकार देती हैं,
व्यर्थ की हर वर्जना को।
रूढ़ियों के पर्वतों को
चीर, पथ बनाती हैं।
बेटियाॅं भी जाने किस
दुनिया से आती हैं।।

स्वरचित
रश्मि लहर
लखनऊ

Language: Hindi
4 Likes · 8 Comments · 429 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

पुरानी यादें ताज़ा कर रही है।
पुरानी यादें ताज़ा कर रही है।
Manoj Mahato
पिता सा पालक
पिता सा पालक
Vivek Pandey
महिला सशक्तिकरण की दिशा
महिला सशक्तिकरण की दिशा
Laxmi Narayan Gupta
*Fruits of Karma*
*Fruits of Karma*
Poonam Matia
।
*प्रणय प्रभात*
यौवन रुत में नैन जब, करें वार पर  वार ।
यौवन रुत में नैन जब, करें वार पर वार ।
sushil sarna
मैं महकती यादों का गुलदस्ता रखता हूँ
मैं महकती यादों का गुलदस्ता रखता हूँ
VINOD CHAUHAN
कैसी प्रथा ..?
कैसी प्रथा ..?
पं अंजू पांडेय अश्रु
राहगीर
राहगीर
RAMESH Kumar
ज़रा ज़रा सा मैं तो तेरा होने लगा हूं।
ज़रा ज़रा सा मैं तो तेरा होने लगा हूं।
Rj Anand Prajapati
इश्क़ हो
इश्क़ हो
हिमांशु Kulshrestha
इंसान भी कितना मूर्ख है कि अपने कर्मों का फल भोगता हुआ दुख औ
इंसान भी कितना मूर्ख है कि अपने कर्मों का फल भोगता हुआ दुख औ
PANKAJ KUMAR TOMAR
अपना साया ही गर दुश्मन बना जब यहां,
अपना साया ही गर दुश्मन बना जब यहां,
ओनिका सेतिया 'अनु '
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
श्याम बदरा
श्याम बदरा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
" गिर करके सम्हला होगा "
Dr. Kishan tandon kranti
मासी की बेटियां
मासी की बेटियां
Adha Deshwal
बेटियां
बेटियां
Mukesh Kumar Sonkar
सफलता की ओर
सफलता की ओर
Vandna Thakur
3246.*पूर्णिका*
3246.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
छू कर तेरे दिल को, ये एहसास हुआ है,
छू कर तेरे दिल को, ये एहसास हुआ है,
Rituraj shivem verma
कहां गए (कविता)
कहां गए (कविता)
Akshay patel
राम का आधुनिक वनवास
राम का आधुनिक वनवास
Harinarayan Tanha
हमने देखा तुमको....
हमने देखा तुमको....
Aditya Prakash
I know
I know
Bindesh kumar jha
*कविवर शिव कुमार चंदन* *(कुंडलिया)*
*कविवर शिव कुमार चंदन* *(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
𑒔𑒰𑒙𑒳𑒏𑒰𑒩𑒱𑒞𑒰,𑒢𑒱𑒖 𑒮𑓂𑒫𑒰𑒩𑓂𑒟,𑒢𑒱𑒖 𑒨𑒬𑒑𑒰𑒢 𑒂 𑒦𑒹𑒠𑒦𑒰𑒫 𑒏 𑒖𑒰𑒪 𑒧𑒹 𑒅𑒗𑒩𑒰𑒨𑒪 𑒧𑒻
𑒔𑒰𑒙𑒳𑒏𑒰𑒩𑒱𑒞𑒰,𑒢𑒱𑒖 𑒮𑓂𑒫𑒰𑒩𑓂𑒟,𑒢𑒱𑒖 𑒨𑒬𑒑𑒰𑒢 𑒂 𑒦𑒹𑒠𑒦𑒰𑒫 𑒏 𑒖𑒰𑒪 𑒧𑒹 𑒅𑒗𑒩𑒰𑒨𑒪 𑒧𑒻
DrLakshman Jha Parimal
ज़ख़्म मेरा, लो उभरने लगा है...
ज़ख़्म मेरा, लो उभरने लगा है...
sushil yadav
माता- पिता
माता- पिता
Dr Archana Gupta
"दास्तां ज़िंदगी की"
ओसमणी साहू 'ओश'
Loading...