बेटियां
✍️_बेटियां
ओस की बूंदें और बेटियां
एक तरह से एक जैसी होती हैं
जरा सी धूप, दुख से ही मुरझा जाती हैं
लेकिन दे जाती हैं जीवन,
बाग बगीचा हो या रिश्तों की बगिया
ओस और बेटियां होती हैं,
कुछ ही समय की मेहमान
धूप के आते ही छुप जाती है ओस,
और …
समय के साथ बेटियां भी बन जाती हैं,
किसी की पत्नी, बहू, भाभी और मां
जिसमें गुम हो जाती है बेटी की मासूमियत
फिर भी दे जाती हैं ठंडक,
सीमित समय में भी, ओस की ही तरह
ओस बरसती है खुली छत, खुले खेत में,
तो बेटियां महकती हैं,
देती हैं दुआएं, वरदान
घर आंगन में तुलसी की तरह।
____मनु वाशिष्ठ