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19 May 2024 · 1 min read

काजल की महीन रेखा

काजल की महीन रेखा
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आँखों में
वह काजल की महीन रेखा
तुमने खींची थी
लक्ष्मण रेखा सी थी वह
जिसके अंदर धैर्य था
जिसके अंदर शालीनता सऊर बसी थी
स्नेह समर्पण था

और था जंगल में भी
पति के साथ निभाने का साहस
काजल की लक्ष्मण रेखा
की सरहद भी है शायद
आँखों में बनी
इस महीन लकीर के पार
तुमने अपने सोंच के
कदम नहीं निकाले

छलावे दुविधा भ्रम ने फैलाये
असंख्य जाल और
रावण के मायावी
मुखौटों ने भरमा न पाया
काजल की लकीर के अंदर से ही
तुमने हमेशा मेरा साथ निभाया

सीता से भी ऊंचा अटल विश्वास बनाया
मैं उन आँखों में तुम्हें पढ़ता रहा जैसे पढ़ते हैं
रसिक ‘प्रेम ॠचाएं’
जिज्ञासु ‘ज्ञान कथाएँ’
नास्तिक ‘मन में पलने वाली अद्रश्य आस्थाएं’ ।
– अवधेश सिंह

1 Like · 19 Views
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