“बेटियाँ”
“बेटियाँ”
सुकून से खाओ मेहनत की रोटियाँ,
आबाद वो घर है होती जहाँ बेटियाँ।
त्याग, तपस्या, दया, धर्म, क्षमा, शील
संस्कार बिखेरती हैं होती जहाँ बेटियाँ।
“बेटियाँ”
सुकून से खाओ मेहनत की रोटियाँ,
आबाद वो घर है होती जहाँ बेटियाँ।
त्याग, तपस्या, दया, धर्म, क्षमा, शील
संस्कार बिखेरती हैं होती जहाँ बेटियाँ।