बेटा बेटी में फर्क क्यों ?
दोनो है जब एक ही डाली के फूल ,
मत करो इनमें फर्क करने की भूल ।
बेटा गर है आपके घर का चिराग तो ,
बेटियां घर की रौनक ,मत जाओ भूल ।
बुढ़ापे में जब होंगे मां बाप कमज़ोर ,
तो बेटी देती सहारा,बेटा जाता सब भूल।
मौत के बाद बेटा देगा मुक्ति औ मोक्ष ,
ऐसी पिछड़ी सोच को तुम भी जाओ भूल ।
मोक्ष औ मुक्ति अपने सुकर्मों से मिलती है ,
ये थोथे कर्मकांडों को बेटा शायद जाय भूल ।
बेटियां आज बेटों से बिल्कुल कम नहीं ,
बल्कि उनसे बढ़कर है,क्यों जाते हो भूल ?
बेटियों को बेटों के बराबर हक और इज्जत दो ,
बेटियों के सुख औ खुशी में आपके सुख का मूल ।