बेजुवान मित्र
होते हमारे बेजुवान मित्र,
पशु-पक्षी और कीट-पतंग,
मत बनाओ इन्हें पराधीन,
होते हमारे बेजुवान मित्र ।
मनुजों की रग – रग में ,
होता धब्बा देशद्रोही का ,
पर हमारे बेजुवान मित्र,
न करते कभी देशद्रोही है।
अपनी अंतिम श्वास तक,
निभाते अपनी वफादारी है,
वो होते हमारे बेजुवान मित्र ,
हम भी इनसे प्रेरित होकर ,
अपनी वफादारी व्यक्त करें।
इनके हर्षजनक होने से ही ,
प्रकृति में आती चहकता है ,
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी ,
इन्हीं पे होते अधीनस्थ हम ,
मत पहुँचाओ वेदना इन्हें,
होते हमारे बेजुवान मित्र है।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार