बेजान जिंदगी में बेजान सा हमसफर
हमें किसी की याद आती है इसलिए उसकी याद
को बचाए को रखा, संजोए रखा, पिरोए रखा ।
आपने जख्म खुरेद रखा ,नहीं किया इलाज उसका
वो नहीं तो क्या ? गम में उसकी याद बचाए रखा ।।
उसके भरोसे मैं ना रख पाया, भरोसा
बस यही रह गया दिल का मलाल
वह बोलती गई मैं सुनता गया ,सुनता गया
कुछ एहसान कर के गई,कर के गई।।
वादा तो कुछ हमने भी किया कुछ उसने भी
कुछ उसने भी तोड़ा था कुछ हमने भी तोड़ा
कुछ सपने हमने भी सजाए थे और कुछ उसने भी
बेड़िया मेरे पैरों मे थे उसको पैरों मे भी
निःशब्द कर देने लबी से निशा का सफर
बेजान जिंदगी में बेजान सा हमसफर
अब तो उसकी याद ही हमारा हमसफर है
वो मेरे लिए नफरत बचाएं रखी, मैं यादें
पहले अपनी एक कहानी एक राजा एक रानी
अब उसकी अलग ,मेरी अलग दोनों का अलग
कहानी है ।।
गौतम साव