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18 Nov 2019 · 1 min read

बुढापा – मजबूरी नहीं

मन के हारे हार है
मन के जीते जीत
कम मत होने दो
उत्साह मन में
खुश रहो
संतुलित खाओ
घुमो फिरो
व्यायाम करो
नाती पोतों के
साथ मस्त रहो
फिर काहे का
बुढापा
खुश रहो
खुश रखो
बस यही है
जिन्दगी

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
1 Like · 181 Views
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