Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Mar 2024 · 1 min read

सूखी नहर

सुखी नहर_
वो नहर
यादों का गुलदस्ता लिए :
अविचल आज भी खड़ी है_
मगर सूखी पड़ी,
टकटकी लगाए
मौन पीड़ा लिए
कह रही हो,
कहाँ गए मेरे नयन प्रिय नीर..?
मेरे दोनों तीरों पर
सूखती फसलों में,
लहलहाती बालियों में जान लाकर,
खेतों की क्यारियों से अठखेलियाँ करती,
पीटर पेटर गड़गड़ की आवाज के साथ
उछलती कूदती सलिल धाराएं…!
जलचर उभयचर खाद्य श्रृंखलाएं,
मेढकों और सुक्ष्म प्लवक भक्षी कीटों संग,
मांगुर गरई और मरैल जैसी वायुश्वासी मछलियां,
अपने दोनों सिंघो के सहारे
धान की धारदार हरी पत्तियों पर सरकते घोंघे ,
नुकीली लम्बी चोंच फैलाये
सारस हंसावर और पनकौए,
समूचा पारितंत्र आज बिखरा पड़ा है..
सिर्फ बालुओं की मोटी परत ,
और उसके अंदर ,
विभिन्न आकृतियों के गड्ढे बनाते मिटाते ,
लाल गुबरैले की टोलियाँ ,
मुँह चिढ़ाती दिखती है ।
थोड़े दिनों पहले तक,
गौरेये की झुंड कभी कभी,
अपनी चोंच रगड़,
उसी बालू में सूखा स्नान करती…
आज कृत्रिमता भरी महफिल से ,
बहुत दूर चली गई लगती है ।
चार दशकों पुरानी यादों को समेटे,
निष्प्राण सी सुखी नहर _
बेजान स्वर में मुझसे कह रही हो,
बैराज के फाटक फिर से कब खुलेंगे
और कब मुझ दरिद्र के दिन बुहरेंगे…?

मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – ०७ /०३ /२०२४,
फाल्गुन,कृष्ण पक्ष,द्वादशी,बृहस्पतिवार
विक्रम संवत २०८०
मोबाइल न. – 8757227201
ई मेल – mk65ktr@gmail.com

3 Likes · 216 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from मनोज कर्ण
View all
You may also like:
रूठी हूं तुझसे
रूठी हूं तुझसे
Surinder blackpen
शिक्षा अपनी जिम्मेदारी है
शिक्षा अपनी जिम्मेदारी है
Buddha Prakash
लड्डु शादी का खायके, अनिल कैसे खुशी बनाये।
लड्डु शादी का खायके, अनिल कैसे खुशी बनाये।
Anil chobisa
क्या यह महज संयोग था या कुछ और.... (1)
क्या यह महज संयोग था या कुछ और.... (1)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
💐प्रेम कौतुक-413💐
💐प्रेम कौतुक-413💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
ईश्वर है
ईश्वर है
साहिल
सत्य की खोज
सत्य की खोज
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"चंचल काव्या"
Dr Meenu Poonia
धूर्ततापूर्ण कीजिए,
धूर्ततापूर्ण कीजिए,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
"आज का आदमी"
Dr. Kishan tandon kranti
खद्योत हैं
खद्योत हैं
Sanjay ' शून्य'
जबसे तुमसे लौ लगी, आए जगत न रास।
जबसे तुमसे लौ लगी, आए जगत न रास।
डॉ.सीमा अग्रवाल
शांति तुम आ गई
शांति तुम आ गई
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
आज कृत्रिम रिश्तों पर टिका, ये संसार है ।
आज कृत्रिम रिश्तों पर टिका, ये संसार है ।
Manisha Manjari
पहले पता है चले की अपना कोन है....
पहले पता है चले की अपना कोन है....
कवि दीपक बवेजा
सावनी श्यामल घटाएं
सावनी श्यामल घटाएं
surenderpal vaidya
ONR WAY LOVE
ONR WAY LOVE
Sneha Deepti Singh
जिंदगी में जो मिला सब, सिर्फ खोने के लिए(हिंदी गजल गीतिका)
जिंदगी में जो मिला सब, सिर्फ खोने के लिए(हिंदी गजल गीतिका)
Ravi Prakash
सरोकार
सरोकार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
मदमती
मदमती
Pratibha Pandey
!! युवा मन !!
!! युवा मन !!
Akash Yadav
जीवन का इतना
जीवन का इतना
Dr fauzia Naseem shad
आतंकवाद सारी हदें पार कर गया है
आतंकवाद सारी हदें पार कर गया है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बाबू
बाबू
Ajay Mishra
नश्वर संसार
नश्वर संसार
Shyam Sundar Subramanian
हार कभी मिल जाए तो,
हार कभी मिल जाए तो,
Rashmi Sanjay
एक रूपक ज़िन्दगी का,
एक रूपक ज़िन्दगी का,
Radha shukla
पहला प्यार
पहला प्यार
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
आदमी का मानसिक तनाव  इग्नोर किया जाता हैं और उसको ज्यादा तवज
आदमी का मानसिक तनाव इग्नोर किया जाता हैं और उसको ज्यादा तवज
पूर्वार्थ
#लघुकथा / #विरक्त
#लघुकथा / #विरक्त
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...