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31 May 2024 · 1 min read

बीते दिन

बीते दिन

वो बीते दिन
अब नही आते
वो बचपन के खिलौने
अब नही भाते

वो आम के पेड़
से आम तोड़ने
अब नही जाता
शायद अब ये बचपना
अब नही आता

स्कूल जाना तो महज
एक बहाना था
दोस्तो के साथ दौड़ जो
लगाना था

लाख सुनता फटकारे पर
मैं न फड़फड़ाता पर
अब न सुना जाता

वो बचपन में एक सुकून
था जिसे अब मैं न ढूंढ पाता
वो बीते दिन थे
जिसे मैं न भूल पाता

1 Like · 15 Views
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