बीच रास्ते कहां
ऐसा क्या हुआ जो
रास्ते में ही कहीं
रह गई
मैं तुम्हारी मंजिल थी फिर
बीच रास्ते कहां खो गई
अपने घर वापस लौट गई या
चौराहे से किसी अजनबी राह पर
मुड़ गई
देर कुछ अधिक हुई तो
मुझे चिन्ता हुई
जीवन में एक पल में सब कुछ
बदल जाता है तो
शंका होती है
आजकल का माहौल है खराब
सड़कों पर भीड़ इतनी पर
सब अजनबी
एक घर से दूसरे घर की
राहें भी
एक दूसरे से अंजान
अक्सर नहीं जुड़ती।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001