बिल्ली
बाल कहानी- बिल्ली
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पिन्टू बहुत ही होशियार बालक था। होशियार होने के साथ-साथ बहुत ही नेक भी था। रोज़ समय से स्कूल जाना और पढ़ाई के साथ-साथ घर के काम में भी माँ के साथ हाथ बँटाता था। पिन्टू बारह साल का था। वह कक्षा सात का विद्यार्थी था, पर वह अपने कार्यों से सबका मन मोह लेता था।
एक दिन उसने देखा कि उसके कमरे में एक बिल्ली अपने दो छोटे बच्चों के साथ मेज़ के नीचे छुपी है। पिन्टू चूपचाप देखता रहा। इससे पहले पिन्टू कुछ करता, विद्यालय जाने का समय हो जाने के कारण वह विद्यालय गया। लौटकर आया तो देखा बिल्ली नहीं थी, पर उसके दो छोटे-छोटे बच्चे चुपचाप बैठे थे।
पिन्टू से रहा नहीं गया। उसने बच्चों को खिलाने का प्रयास किया परन्तु बच्चों ने कुछ नहीं खाया तो पिन्टू परेशान हो गया।
कुछ देर बाद पिन्टू ने माँ से पूछा-, “माँ! बिल्ली के बच्चे क्या खाते हैं?”
माँ ने प्रश्न पूछने कारण पूछा तो पिन्टू सारी बात बताते हुए माँ को बच्चों के पास ले गया। पिन्टू के साथ-साथ माँ को भी बच्चों पर तरस आया, क्योंकि बच्चे भूख के कारण चुपचाप लेटे थे। माँ ने तुरन्त कटोरी में दूध लाकर दिया। पिन्टू ने दोनों बच्चों को दूध पिलाया। दूध पीते ही बच्चे खेलने लगे। इधर से उधर भागने लगे। पिन्टू भी साथ-साथ खेलने लगा। थोड़ी देर बाद बिल्ली आयी और अपने बच्चों को ले गयी।
पिन्टू को बच्चों से लगाव हो गया था। वह उदास हो गया। तभी माँ ने समझाया-, “जैसे तुम मेरे पास रहकर खुश होते हो, वैसे ही वे बच्चे भी अपनी माँ के पास खुश है।”
माँ की बात पिन्टू को समझ में आ गयी। वह पुन: अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने लगा। ये सोच कर कि पढ़-लिखकर कुछ बनना है और सभी के काम आना है।
शिक्षा-
बच्चों को बचपन में अपनी माँ से विशेष लगाव होता है। उन्हेंं उनकी माँ से दूर नहीं करना चाहिए।
शमा परवीन
बहराइच (उत्तर प्रदेश)