बिन माली बाग नहीं खिलता
#बिन माली बाग नहीं खिलता
बिन माली बाग नहीं खिलता है।
बिन माँ – बाप घर घर नहीं होता है।।
माली दिन रात पौधे की देखभाल करता है ।
माँ – बाप भी बच्चों की देखभाल करते हैं।।
बिना मेहनत बाग कभी नहीं खिलता है।
बिना मेहनत परिवार भी नहीं चलता है।।
पौधे की परवरिश पानी से होती हैं।
बच्चों की परवरिश शिक्षा संस्कार से होती है।।
पौधे पेड़ बाग का गुरु माली होता है।
वैसे ही घर परिवार का गुरु बाप होता है।।
गुलशन की शोभा माली बढाता है।
वैसे ही घर की शोभा माँ बढाती है।।
माली के प्रेम बिना बाग नहीं खिलता हैं।
जैसे बिना गुरु कोई शिष्य नहीं होता है।।
कलियों को फूल बनते माली देखता है।
बच्चों को बड़ा होते माँ – बाप देखते है।।
घर संसार का माली बाप ही होता है।
और उसकी देखभाल माँ ही करती है।।
बिन माली बाग नहीं खिलता है…………..
बिन माँ – बाप घर घर नहीं होता है………..
स्वरचित मौलिक अधिकार
कृष्णा वाघमारे, जालना, महाराष्ट्र.