बाल हैं सौंदर्य मनुज का, सबके मन को भाते हैं।
काले लम्बे घने बाल,मन को बहुत लुभाते हैं
इसलिए सफेद बालों को अक्सर,काला रंग लगाते हैं
विविध केश विन्यासों से, मुखड़े को और सजाते हैं
गंजे हो जाने पर,विग भी बहुत लगाते हैं
मंहगी मंहगी तकनीकों से,सिर पर बाल उगाते हैं
गोरा रंग और बाल सुनहरे, अक्सर यूरोप में होते हैं
चलन चल रहा रंग करने का,कई रंगों में लोग रंगाते हैं
शोख अदाएं जुल्फों की,जब गजरा और सजाते हैं
मंत्र मुग्ध कविगण सुंदर, गीत श्रंगार के गाते हैं
खुले बाल घटा सावन की, चोटी नागिन बतलाते है
सौंदर्य वोध बढ़ा रही लट,जब अलकों तक आती है
चांद घटाओं से निकला, उपमा कही न जाती है
उम्र के साथ सफेद बाल, अनुभव की एक कहानी है
दादा दादी नाना नानी, रिश्तों की अजब कहानी है
परिवार में जीवन क्षय पर, बाल दिए जाते हैं
मन्नत स्वरूप बाल देवों को, भेंट किए जाते हैं
बाल जरूरी हैं सबको, ठंड गर्मी से हमें बचाते हैं
विन बालों के दुनिया में, गंजे हम कहलाते हैं
बाल हैं सौंदर्य मनुज का,सबके मन को भाते हैं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी