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13 Feb 2022 · 2 min read

बाबा साहेब अंबेडकर

शोषित और सताए हुए का एक संघर्षी जन्मा था
दवे और कुचलो के लिए शायद वो अजन्मा था
उस युग में यूं इतना पढ़ना बस्की सबके बात नहीं
भारत छोड़ो विदेश में भी सूरज से कम नाम नहीं
अमेरिका के राष्ट्रपति ने सूरज इसका नाम दिया
शोषितों के साथ साथ महिलाओं का उद्धार किया
धर्म के ठेकेदारों ने पानी पर अधिकार जमाया
पानी पीने का अधिकार नायक ने हमे दिलाया
सोचा अजन्मा ईश्वर है लेकिन वो मनुष्य जन्मा था
शोषित और सताए हुए का एक संघर्षी जन्मा था
पढ़ने की बातें छोड़ो पुस्तक छूने का अधिकार नहीं
गांव के मुखिया सरपंच सब ये पर अपनी सरकार नहीं
क्या लिखूं कितना लिखूं कलम मेरी अब रोती है
कहती नायक के त्याग की दास्तां अब तो ये धरती है
उसी हमारे नायक ने हमको तो इंसान बनाया
नहीं तो पशु से बत्तर जीवन अबतक हमने पाया
हर अधिकार के क्षेत्र में इनका अपना खंभा था
शोषित और सताए हुए का एक संघर्षी जन्मा था
अधिकारों की बात हम करते पिटाई और फटकार लगाई
नायक ने हर अधिकार की पंक्ति संविधान में खुद रचाई
ढोल गवाँर शूद्र पसु नारी पीटने का था अधिकार
कोई इनकी ना सुनने वाला पशु से नीचा था आधार
उस नायक के त्याग के कारण विधान ऐसा तैयार किया
शोषण से बचाव के लिए एक्ट का प्रावधान किया
एक्ट खत्म करने के लिए हर वो वर्ग निकम्मा था
शोषित और सताए हुए का एक संघर्षी जन्मा था
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी खत्म करन को एक्ट
मेरा नायक इतना महान आज समझा हूं परफेक्ट
शोषण हमारा आज भी करते आरक्षण के मुद्दे पर
हजारों साल से खाते आए बोले नहीं उस मुद्दे पर
आज हम ऊपर बढ़ते है आरक्षण इनको दिखता है
विधान बदलने की ये सोचें आंखों में इनके खटकता है
समता की जो बात ना करे हर वो वर्ग निकम्मा था
शोषित और सताए हुए का एक संघर्षी जन्मा था
नायक नायक बोल चुका नाम उसका बाकी था
अंबेडकर था नाम उसका संघर्षी जन्म जाति था
कहै”आलोक” बाबा साहेब से विश्व में है नाम अमर
ऐसा त्यागी और न देखा विरोधियों से किया समर
अब तो मरते दम तक बाबा साहब का मैं आदि हूं
धर्म जाति न करू बखान मैं अंबेडकरवादी हूं
हर क्षेत्र में पकड़ थी उसकी इतना वो चौकन्ना था
शोषित और सताए हुए का एक संघर्षी जन्मा था
दवे और कुचलो के लिए शायद वो अजन्मा था

✍️….आलोक वैद “आजाद”
एम ० ए० (समाज शास्त्र)
मो० 8802446155

Language: Hindi
1 Like · 224 Views
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