*किसी की भी हों सरकारें,मगर अफसर चलाते हैं 【मुक्तक】*
किसी की भी हों सरकारें,मगर अफसर चलाते हैं 【मुक्तक】
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कहाँ मंत्री समझ अपने, विभागों तक को पाते हैं
समझ जब तक वे पाते हैं, उतर सत्ता से जाते हैं
हमेशा राज सचिवालय में, चलता बाबुओं का है
किसी की भी हों सरकारें, मगर अफसर चलाते हैं
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 615451