Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Feb 2024 · 1 min read

बाजारवाद

बेहिसाब
खरीदारी से
कौन किसको
रोकता है
बाजारवाद में
नागरिक
केवल
उपभोक्ता है
सुख सुविधा
विलासिता
हर समय
भोग का
भाव
करता है
विकृत स्वभाव
सादगी को
सोखता है।
बस मै और मेरा
इसी तरफ झुकाव
आर्थिक
संतुलन का
पूरी तरह
अभाव।
यही तो
आदमी को
अंधकूप में
झोंकता है।

डा.पूनम पांडे

Language: Hindi
3 Likes · 127 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Punam Pande
View all
You may also like:
Happy independence day
Happy independence day
Neeraj kumar Soni
"बुरी होती अति"
Dr. Kishan tandon kranti
कूच-ए-इश्क़ से निकाला गया वो परवाना,
कूच-ए-इश्क़ से निकाला गया वो परवाना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बात पते की कहती नानी।
बात पते की कहती नानी।
Vedha Singh
बड़ी-बड़ी उपमाएं ,
बड़ी-बड़ी उपमाएं ,
TAMANNA BILASPURI
दो रंगों में दिखती दुनिया
दो रंगों में दिखती दुनिया
कवि दीपक बवेजा
Activities for Environmental Protection
Activities for Environmental Protection
अमित कुमार
3138.*पूर्णिका*
3138.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मुक्तक
मुक्तक
Vandana Namdev
*रिश्ते भैया दूज के, सबसे अधिक पवित्र (कुंडलिया)*
*रिश्ते भैया दूज के, सबसे अधिक पवित्र (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
dont force anyone to choose me, you can find something bette
dont force anyone to choose me, you can find something bette
पूर्वार्थ
*माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप - शैलपुत्री*
*माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप - शैलपुत्री*
Shashi kala vyas
खूब तमाशा हो रहा,
खूब तमाशा हो रहा,
sushil sarna
जिसने सिखली अदा गम मे मुस्कुराने की.!!
जिसने सिखली अदा गम मे मुस्कुराने की.!!
शेखर सिंह
हाथ पताका, अंबर छू लूँ।
हाथ पताका, अंबर छू लूँ।
संजय कुमार संजू
તે છે સફળતા
તે છે સફળતા
Otteri Selvakumar
*शीतल शोभन है नदिया की धारा*
*शीतल शोभन है नदिया की धारा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
परेशां सोच से
परेशां सोच से
Dr fauzia Naseem shad
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
शिक्षकों को प्रणाम*
शिक्षकों को प्रणाम*
Madhu Shah
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
Rituraj shivem verma
गंगा की जलधार
गंगा की जलधार
surenderpal vaidya
Nhà Cái Uy Tín Chuyên trang nhà cái tổng hợp cung cấp link t
Nhà Cái Uy Tín Chuyên trang nhà cái tổng hợp cung cấp link t
Nhà Cái Uy Tín
उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
Ashwini sharma
* इंसान था रास्तों का मंजिल ने मुसाफिर ही बना डाला...!
* इंसान था रास्तों का मंजिल ने मुसाफिर ही बना डाला...!
Vicky Purohit
तुम्हे शिकायत है कि जन्नत नहीं मिली
तुम्हे शिकायत है कि जन्नत नहीं मिली
Ajay Mishra
पहले लोगों ने सिखाया था,की वक़्त बदल जाता है,अब वक्त ने सिखा
पहले लोगों ने सिखाया था,की वक़्त बदल जाता है,अब वक्त ने सिखा
Ranjeet kumar patre
🌹जिन्दगी🌹
🌹जिन्दगी🌹
Dr .Shweta sood 'Madhu'
" मेरी ओकात क्या"
भरत कुमार सोलंकी
Loading...