बहेलिया(मैथिली काव्य)
बहेलिया
(मैथिली काव्य)
~~°~~°~~°
बहेलिया घुमैत अछि, प्रतिपल ,
मन केऽ छिछिआउ नै।
लगौने अछि जाल,चहुंओर जेऽ ,
अहां ओहि मे फंसि जाउ नै ।
काम,क्रोध,मद लोभ के गिठह ,
जाल में ठाम ठाम अछि।
देखति अछि, जानितहुं सभ लोक ,
जाल में फंसि जायत अछि।
मोन तेऽ सदिखन अकुलाएल ,
कोना ओकरा स्थिर करब ।
बचपन से बुढापा आयत ,
बेर बेर मोनक चाहत बदलत।
साँचि मे, कि मोन मनोरथ,
कखनहुँ तऽ, ई पता करु ।
सोचब प्रभु ध्यान लगा केऽ ,
बहेलिया से सदत दूर रहू ।
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – ११ /१२/२०२२
पौष, कृष्ण पक्ष,तृतीया ,रविवार
विक्रम संवत २०७९
मोबाइल न. – 8757227201
ई-मेल – mk65ktr@gmail