बहुत याद आता है मुझको, मेरा बचपन…
मेरी कलम से…
आनन्द कुमार
मां कहती है,
नटखट था तू,
मनमानी करता था,
शैतानी पन का ओढ़ के चादर,
सबको तंग करता था,
खाने के लिए सताता था,
पानी में दिन बिताता था,
हर पल घर को, सर पर रखकर,
हमको नाच नचाता था,
मां कहती है, फिर भी तू,
मुझको खूब भाता था,
मां कहती है, चाहे तू,
तंग जीतना कर लेता था,
पर जब सीने से तू लगता था,
मेरा जीवन तर जाता था,
बहुत याद आता है मुझको,
मेरा बचपन…