बस्तर हाट-बाजार
सदियों से लग रहा निरन्तर
बस्तर में हाट-बाजार,
दूर दराज से आते वनवासी
ये जीवन का आधार।
जीवन उपयोगी सामान सारे
बिकते हाट बाजार में,
सप्ताह भर के लिए ले जाते
सिर पर डोहार के।
इमली महुआ टोरा पपीता
खुद भी बेचने लाते,
सब्जी-भाजी तेल नमक गुड़
बदले में ले जाते।
मुर्गों की लड़ाई भी यहाँ पर
होते बड़े दिलचस्प,
लांदा- सल्फी खुलकर बिकती
रंग दिखते जबरदस्त।
आलू- कन्द स्वादिष्ट गजब के
सोनकेरी भी मीठी,
हाट-बाजारों की परम्परा यहाँ
अनुपम और अनूठी।
(मेरी सप्तम कृति : ‘सतरंगी बस्तर’ से..)
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।