बसंत
रचना शीर्षक —बसन्त
उल्लास है ,उमंग है, रंग में बसन्त है
ध्यान ,कर्म ,धर्म, मर्म ज्ञानऔर प्रसंग है।।
बजती है बीणा ,डमरू बजता मृदंग है
बहती बयारों में कण कण माँ भारती
चरणों की धूल और फूल है।।
उल्लास है उमंग है रंग में बसंत है
ध्यान ,कर्म ,धर्म ,मर्म ज्ञान और प्रसंग है।।
साध्य साधना के पग पग आराधना के
गूँजते साज और संगीत है।।
उल्लास है उमंग है रंग में बसंत है
ध्यान ,कर्म ,धर्म ,मर्म ज्ञान और प्रसंग है।।
कोयल की मधुर गान आम की
डाली के बौर मधुबन और सुगंध है।।
सुबह संध्या की लाली
चाँद की चाँदनी
नवचेतना का संचार संदेस है।।
उल्लास है उमंग है रंग में बसंत है
ध्यान ,कर्म ,धर्म ,मर्म ज्ञान और प्रसंग है।।
हरियाली झूमती खेतों की बाली
धन धान्य किसान मजदूर का
अभिमान मुस्कान का गांव और देश है।।
उल्लास है उमंग है रंग में बसंत है
ध्यान ,कर्म ,धर्म ,मर्म ज्ञान और प्रसंग है।।
शक्ति की भक्ति माँ के वात्सल्य
का स्नेह प्रसाद का प्रवाह अनमोल
है।।
उल्लास है उमंग है रंग में बसंत है
ध्यान ,कर्म ,धर्म ,मर्म ज्ञान और प्रसंग है।।
सांसो में आश विश्वास
धड़कनों में उठती तरंग है।।
उल्लास है उमंग है रंग में बसंत है
ध्यान ,कर्म ,धर्म ,मर्म ज्ञान और प्रसंग है।।
भाग्य भगवान का आगमन
सत्य अर्थ मार्यादा का गुण गान
का जागृति जागरण परिवेश है।।
उल्लास है उमंग है रंग में बसंत है
ध्यान ,कर्म ,धर्म ,मर्म ज्ञान और प्रसंग है।।