बसंत
पतझड़ को करके विदा,
बसंत ने दी दस्तक है।
महकी-महकी फिजाएं,
खुशनुमा बयार है।
आकाश निर्मल है,
पक्षियों के नव-गायन है;
नए साल का आगमन है।
खेतों मे फसलें तैयार है,
बागों मे फूलों की झड़ी है;
मानों खुशियों की घड़ी है।
पतझड़ को करके विदा,
बसंत ने दी दस्तक है।
महकी-महकी फिजाएं,
खुशनुमा बयार है।
आकाश निर्मल है,
पक्षियों के नव-गायन है;
नए साल का आगमन है।
खेतों मे फसलें तैयार है,
बागों मे फूलों की झड़ी है;
मानों खुशियों की घड़ी है।