बसंत में हिस्सा
बसंत में हिस्सा
—————–
मुझे भी चाहिये
बसंत में अपना हिस्सा
कुछ खिलते हुये फूल
पीली पीली सरसों
जाती हुई शीत
शरीर में थोड़ा
गर्म होता रक्त
मेरे पक्ष में होता वक़्त
तुम्हारे पास
होने का अहसास
फुदकती गिलहरी
पीले खिलते अमलतास
एक निर्झर सा जीवन
चाहता मन
आ बसंत आ
मुझे चाहिये
अपना हिस्सा
—————
राजेश’ललित