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4 May 2024 · 1 min read

दो वक्त के निवाले ने मजदूर बना दिया

बेरोजगारी ने शिक्षित को मजबूर बना दिया
दो वक्त के निवाले ने मजदूर बना दिया

सोचता हूँ आज
क्यों दब गई आवाज
रुठी कलम नाराज हमसे कायदा हुआ
शिक्षित होना आज देखो बेफायदा हुआ
गुरूर था जिस शिक्षा पे बेनूर बना दिया
दो वक्त के निवाले ने मजदूर

देखता हूँ आज
बदला है क्यों समाज
अपने थे जो वे हाथ छुड़ाने लगे सभी
मजबूरियाँ अपनी ही गिनाने लगे सभी
बहाना कहूँ या उन्होने दस्तूर बना लिया
दो वक्त के निवाले ने मजदूर

पूछता हूँ आज
अ खुदा तेरा अंदाज
‘V9द’ मारा-मारा फिरे वे हैं आराम से
खेलता है खेल क्यों किस्मत के नाम पे
कंकर किसी को तुने कोहिनूर बना दिया
दो वक्त के निवाले ने मजदूर

स्वरचित
V9द चौहान

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