“बर्बादी का बीज”
“बर्बादी का बीज”
मानव जाति को हानि पहुँचाने वाली सर्वाधिक शरारतें मदिरापान से जन्म लेती है। यह रोग, झगड़ा, कामचोरी, पारिवारिक झंझट जैसी तमाम नकारात्मक चीजों की जड़ है। यह बर्बादी का वो बीज है, जो सेहत, सम्मान, सम्पत्ति सबके लिए हानिकारक है।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति