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2 Jun 2021 · 1 min read

बरसात

बरसात

बरसाती रिमझिम बूंदों में
जीवन को मधुरूप मिला है।।

तारापथ से चलकर आयी
श्यामघटा नभ में फहराये।।
चपला चमके मन हरषाये
मेघदूत सन्देशा लाये ।।
वर्षा की हर प्रखर बूँद से
उपवन में नव पुष्प खिला है।।

केकी ने कानन में हॅसकर
पिउ पिउ की रट है लगायी।।
सतरंगी अब इन्द्रधनुष ने
अंखियन से है नींद चुरायी।।
‘कन्त’ सखि परदेश बसे हैं
मौसम से बस यही गिला है।।

बुंदियन से हैं शतदल सजते
स्वर बूंदों से पायल झंकृत।।
बसुमति नभ को अंक समाये
तब होती बरसात अलंकृत ।।
गागर में सागर का पानी
ऐसा कुछ कह रही शिला है।।

स्वरचित
डाॅ.रेखा सक्सेना

8 Likes · 12 Comments · 679 Views
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