बरसात के विविध रंग
????बरसात के विविध रंग????
बूंद नहीं भावों के मोती, झरते इस बरसात में!
ले आते हैं मचलती तरंगें, अपने संग सौगात में !!
बचपन,तरुण, जवानी,बुढ़ापा सबमें अलग ही भाव जगें,
पर आनंदित हो सबमें मन ,प्रकृति के स्नेहपात में!
बूंद नहीं भावों के मोती झरते इस बरसात में!!
बालकपन में जो गरजे घन, चंचल मन झूमें बूंदों पर,
कागज की नावों पर जैसे, सारे खिलौने हुए न्योछावर !
छाता लेकर भीगें तब तो, बरखा के दिन रात में!!
बूंद नहीं भावों के मोती……………….!
ज्यों तरुणाई में सावन या, भादो की फुहार उठे
मन में उमंगों की लहराते, सोये अबाध बहार उठे
भीगे बिना पूरे कैसे हों, तन मन इस प्रपात में!!
बूंद नहीं भावों के मोती, झरते इस बरसात में! !
यौवन में बरसाती खुशबू, जीवन रस का सार लगे!
प्रियतम संग प्रतिपल वर्षा का, सतरंगी बौछार लगे,
पर विरही मन हो गर प्रिय का, नैन रहें अश्रुपात में
बूंद नहीं भावों के मोती, झरते इस बरसात में! !
ढले यौवन जब हो बुढापा,वर्षा के बादल जब छाते!
यादों के मेले तब आकर,सब किस्सों को फिर दुहराते!!
सराबोर कर जायें गगन घन, जैसे बचपन के मुलाकात में !
बूंद नहीं भावों के मोती, झरते इस बरसात में! !
ले आते हैं मचलती तरंगें, अपने संग सौगात में!!
बूंद नहीं भावों के मोती, झरते इस बरसात में! !!