#बरसात ऐसी करना बादल
काले मेघा जल बरसाओ , तपती धरती रेगिस्तान।
आशाएँ तुमसे लगी हुयी , अभिनंदन सब करें किसान।।
अंकुर को नयी जवानी दो , गुड़धानी का दो सम्मान।
ताल नदी सब सूखें हैं , लिए हुए उर में अरमान।।
बिजली की ये शमशीर नहीं , मत दो गर्जन की फटकार।
रूह किसानों की काँप रही , इन्हें चाहिए बस जलधार।।
ख़ौफ़ बाढ़ का नहीं चाहिए , नहीं इन्हें सूखे की मार।
तृप्ति सभी की हो जाए बस , इतना ही करना उपकार।।
बाग़ बगीचे सँवर उठेंगे , बादल का सब पाकर प्यार।
रंग-बिरंगे पुष्प खिलेंगे , महकेंगे घर-आँगन द्वार।।
जीव-जंतुओं की ख़ुशी तुम्ही , हे! जीवन के पारावार।
करें निवेदन हाथ जोड़कर , वर्षा का दो हमको उपहार।।
दादुर मोर पपीहे झींगुर , भाये सबको प्रीत फुहार।
जड़-चेतन का नूर तुम्ही हो , तेरा यश गाए संसार।।
उत्साहित कर जाते सबको , देकर प्राणों का आधार।
हे!बलिदानी बादल तेरा , दिल से कोटि-कोटि आभार।।
#आर.एस.’प्रीतम’
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