बना घमंडी कोहरा
चुरा लिया है देखिए ,कुहरे ने फिर घाम ।
भरी दुपहरी भी लगे, हमें ढरकती शाम ।।
बना घमंडी कोहरा, . घटा धूप का मान ।
पडे दिखाई आज फिर,सूरज भी बेजान ।।
रमेश शर्मा.
चुरा लिया है देखिए ,कुहरे ने फिर घाम ।
भरी दुपहरी भी लगे, हमें ढरकती शाम ।।
बना घमंडी कोहरा, . घटा धूप का मान ।
पडे दिखाई आज फिर,सूरज भी बेजान ।।
रमेश शर्मा.