बदले नजरिया समाज का
हो सके तो करो ईजाद
कोई तो ऐसी दवा,
कि बदले नजरिया समाज का
वे श्वेत वस्त्रों में लपेटकर
नारी को ना कहें विधवा।
कोई अहसान ना कर
उस नारी के ऊपर
मगर इंसान के नाते
इतना तो कर,
कि जीवन चले उनका
समय की पटरी पर।
नारी शक्ति पर आधारित
मेरी प्रकाशित 19वीं कृति :
‘बराबरी का सफर’ से चन्द पंक्तियाँ।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
टैलेंट आइकॉन- 2022-23