बदला हूं मैं
धूप वो तपती वो जलते पैर
मजबूरी और नंगे पांव की सैर |
बदला नहीं है कुछ भी
सबकुछ है वही
वही तपती धूप वही है रहगुजर |
रहगुजर मुश्किल ही क्या नामुमकिन सी
फांसलों पर शूल ऑर वही है पत्थर |
यूं तो मौसम भी गमगीन है वही का बही
हां कुछ हद तक बदला हूं मैं जरूर
अब वो बिफरना वो घबराना न रहा
न ही रह गया है वो पहले सा डर |