बदलती फितरत
हर लहज़ा, हर फितरत और हर क़िरदार देखा है
भरी दुनिया में लोंगो का बदलता व्यवहार देखा है!!
लोग मिलते हैं आपसे आपकी हैसियत देखकर!
रिश्तों का हमनें भी एक मीनाऐसा बाज़ार देखा है!!
इस जमाने में सबकी सब पूछते हैं हैसियत देखकर
हमने भी यहाँ पर एक मतलबी संसार देखा है!!
तुम समझते हो कि हम कुछ नही जानते ही नहीं!
हमनें करीबी लोगों का बदलता व्यवहार देखा है!!
खुशी अपनो की अब किसी से बर्दाश्त होती नहीं!
मगर जख्मों पर नमक छिड़कते भरे दरबार देखा है!!
सभी जानते हैं हकीकत ये कि खाली हाथ जायेंगे!
मगर दौलत की हवस में खुद को बर्बाद होते देखा है!!
स्वरचित कविता
सुरेखा राठी