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20 Jan 2024 · 1 min read

असल……सच यही है

असल…. सच यही है के हम बेहद तबाह हैं
ख्वाब में अतः अमीर हैं और बादशाह हैं

ख्वाब में दौलत बड़ी ही बेशुमार है
मुफलिसी के मोहब्बत की हम पहली चाह हैं

दौलत और शोहरत किस्मत अता करे
परेशान उमर भर हम खामखाह हैं

किस्मत मेहरबाँ तो पराए बने सगे
मुश्किल से वक़्त में कहाँ किसकी बाँह है

मन भटक के अक्सर तन्हाई से जा मिले
जब सूझती और दिखती कोई न राह है

रिश्तों की बाढ़ आए मुमकिन कहाँ है अब
वक्त और मैं कहाँ कोई शारजाह हैं
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

Language: Hindi
2 Likes · 45 Views
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