एक साँझ
ढलता सूर्य तो आती साँझ,
कुछ कथ्य कहे अनकहे
सत्य समझाए निशा है आये
होगी दीप्तिमान प्रतीक्षा, कुछ अपूर्ण इच्छा
महत्ता निशा की ज्ञान अंधकार का
एक प्रयासित प्रयोग है ये प्रकृति की सूझ
सौन्दर्य असीम साँझ …………………
अति सुन्दर असत्य भी,
किन्तु क्षणिक भी ;
आकर्षण लपेटे निशा का आँचल,
कराता परिचय प्रातः मिलन का
है श्रेष्ठ परीक्षा कठोर सत्य की,
है पराजित सदैव …………..
अँधेरा असत्य से लिप्सित
डूबा दिवस , गुलाबी सी साँझ …………..
समय ये क्षितिज का
देता संदेसा
काले पहर में अगमित चन्द्रमा
पावन दर्शन , शान्ति प्रतीक
चांदनी प्रसार
प्रयास रत मिलन को
प्रभा की किरन से
समाप्ति साँझ
प्रतीम सुन्दर साँझ लेकिन साँझ …………
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