संगीत में मरते हुए को भी जीवित करने की क्षमता होती है।
कसीदे नित नए गढ़ते सियासी लोग देखो तो ।
महाकविः तुलसीदासः अवदत्, यशः, काव्यं, धनं च जीवने एव सार्थकं
एक पत्नी अपने पति को तन मन धन बड़ी सहजता से सौंप देती है देत
"दिमाग"से बनाये हुए "रिश्ते" बाजार तक चलते है!
कितना रोके मगर मुश्किल से निकल जाती है
मैं अकेली हूँ...
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
राजनीति अब धुत्त पड़ी है (नवगीत)
दबी जुबान में क्यों बोलते हो?
चला आया घुमड़ सावन, नहीं आए मगर साजन।
राना दोहावली- तुलसी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
शायरी संग्रह नई पुरानी शायरियां विनीत सिंह शायर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर