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16 Aug 2019 · 1 min read

बदनाम जिन्दगी

बहुत ढूंढा
उसे
वो

मिल न सकी ,
वक्त बेवक्त
दिखती रही,
वो

कभी इस
कंधे पर
तो कभी
उस
कंधे पर,
वो

बस
जिन्दगी
यूँ ही
बदनाम
होती रही

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

467 Views
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