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11 Jun 2022 · 1 min read

बदजुबानी

किसी एहमक ने की बदजुबानी ,
उसकी सजा सारा हिन्दुस्तान क्यों भुगते?
भूल गया जो वोह अपनी हद ,
माना उसके नश्तर है तुम्हें चुभते ।
देख लो तुम एक बार अपना भी गिरेबान,
तुम्हारे किरदार में भी कितने दाग दिखते ।
मजहब से पहले काश तुम वतन को मानते ,
तो अपने गुरूर को कुर्बान कर अमन की सोचते ।
मगर तुम तो जैसे मौके की फिराक में थे ,
होते गर तुम वाकई इंसा तो हाथ में पत्थर न उठाते।
“अनु” पूछती है आप से जंग के मौके सब ढूंढते ,
क्यों कोई वतन परस्ती के वास्ते मुहोबत के लिए
हसीन मौके क्यों नहीं तलाशते।

2 Likes · 2 Comments · 272 Views
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