बढ़ता चल
बढ़ता चल
जीवन है जंग तू लड़ता चल,
हर कदम आगे बढ़ता चल।
रोक सकेंगी न राह कोई बाधा,
तूफानों सा बेरोक तू बहता चल।
ये मंजिल भी देखती है डगर तेरी,
नित हौसलों का सोपान चढ़ता चल।
मुश्किलों में न कभी घबराना प्यारे
नव-नव आविष्कार गढ़़ता चल।
थक न जाना कभी भी हार के,
संकल्पों की उड़ान भरता चल।
हालात रख निज अनुकूल तुम,
वक्त कैसा भी हो पढ़ता चल।
सपने सारे सच में, सच हो जायेंगे,
मात्र मेहनत से मित्रता करता चल।