बच्चे और संस्कार
मानव जीवन में संस्कारों का बहुत महत्व है। संस्कारविहिन व्यक्ति देश समाज परिवार के लिए बोझ तुल्य होता है ।
जब बच्चा गर्भ में रहता है तभी से उसमें संस्कार की बुनियाद बननी शुरू हो जाती है , इसीलिये गर्भ के समय माँ को धार्मिक वचन गीत सुनने के लिए कहा जाता
है ।
बच्चा जब जन्म लेता है तब वह दुनियादारी से अनभिज्ञ होता है । वह सरल स्वभाव होता है लेकिन उम्र बढने के साथ साथ उसमें समझ आने लगती है और उस समय वह कोमल डाली के समान होता है, उसे जिधर जैसा मोड़ो मुड़ता जायेगा और यही उम्र बहुत नाजुक होती है , इसी समय में उसे संस्कार, संस्कृति और अच्छे विचारों की जरूरत होती है ।
संस्कार के मायने :
जब घर का वातावरण संस्कारमय होगा तब वहाँ रहने वाले हर व्यक्ति की कार्य प्रणाली, विचार अच्छे होंगे।
घर के बड़े बुजुर्ग बच्चों में अच्छे संस्कार डालने में अहम् भूमिका निभा सकते हैं ।
– घर पर धार्मिक आस्था विश्वास का माहौल रखे ।
– सुबह शाम भगवान के आगे दीपक जलाये ।
– नित आरती पूजन प्रार्थना स्वयं करें और बेटे बहू नाती पोतों को भी शामिल करें।
– बच्चों को सदा सत्य बोलने के लिए प्रेरित करें ।
– क्षणिक लाभ के लिए किसी को नुकसान नहीं पहुँचाये।
– ईमानदारी मेहनत लगन से अपने काम करें।
– आलस कामचोरी से दूर रहें।
– घर के बड़े बुजुर्गों की इज्जत करें और उनका आशीर्वाद लें ।
– बड़े बुजुर्गों की सहायता करें, समय से भोजन दवाई दें ।
बच्चों के संस्कार उनकी धरोहर:
बच्चे घर परिवार से होते हुए पाठशालाओं और अपने मित्रों के साथ रहते हुए , अच्छे संस्कार होने पर सब के प्रिय बने रहेंगे। यही उनकी और उनके परिवार की धरोहर है ।
घर परिवार की पहचान है । तब सब कहेंगे :
“देखो अमुक परिवार का यह बच्चा कितना संस्कारी है या उसके परिजनों ने उसे कितने अच्छे संस्कार दिये है ।”
– स्कूल कालेज के साथ ही साथ उसके कार्यस्थल पर भी उसकी तारीफ होगी ।
– संस्कारी व्यक्ति जीवन में सफलता के नये नये आयाम छूता है , और जीवन की बुलंदियों पर पहुँचता है ।
अच्छे संस्कारों की बुनियाद कैसे डाली जाये :
– बच्चों को उनके दादा दादी नाना नानी माता पिता महान पुरूषों की जीवनीशैली , सिद्धांत और विचारधारा बतायें और उनसे प्रेरित करें।
– रामायण गीता आदि धार्मिक ग्रन्थों को पढ़ने के लिए प्रेरित
करें ।
– भोजन करते समय शांत रहे , पहले भगवान को भोग लगाये और खुश मन से जो भी भोजन बना है , उसे प्रसाद समझ कर ग्रहण करें।
– रात सोते समय या घुमने ले जाते समय साहसी प्रेरणादायक कहानी सुनायें।
– टीवी मोबाइल का बच्चों के द्वारा उपयोग करते समय ध्यान रखें । बाल उपयोगी चीजे ही उन्हें देखने दें और वह भी सीमित समय के लिए।
– घर में पति-पत्नी आपस में लडाई झगड़ा नहीं करें, एक दूसरे को अपशब्द नहीं कहें, इन बातों का बच्चों पर गलत असर पड़ता है और वह भी संस्कारहीन , झगडालू हो जाते हैं ।
– यह भी सही है कि संस्कारहीन बच्चे, माता पिता पर बोझ स्वरूप होते हैं, वह गलत काम करके उनका नाम तो डूबते ही हैं और समाज में बदनामी भी झेलने को मजबूर करते हैं।
इस तरह हम पाते है कि व्यक्ति के जीवन में संस्कारों का बहुत महत्व है और इसकी शुरूआत जन्म से ही हो जाती है ।
संस्कारी बच्चे हमेशा देश परिवार घर के उत्थान के बारे में सोचते है और काम करते हैं ।
आधुनिकता आज बच्चों को दिशाहीन कर रही है और उनके भटकने के मौके ज्यादा हैं । ऐसे समय में बच्चों में अच्छे संस्कारों की और ज्यादा जरूरत है ।
समय की नज़ाकत को समझते हुए आज हर परिवार की यह पहली जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों को संस्कारी बनायें।
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल