” बच्चा दिल का सच्चा”
” बच्चा दिल का सच्चा”
नादान है बिल्कुल पूरा नासमझ है
कलाकारी तो इसे आती ही नहीं है
मस्त रहता है अपनी ही दुनिया में
इसलिए इसको हम कहते हैं बच्चा,
बाल मनुहार हर किसी को सुहाती
शांत अदाएं इनकी सबको लुभाती
शैतानियां करता है ज्यादा जरूर
मन से है लेकिन एकदम से सच्चा,
जिद्द पर अड़ जाता है कभी कभी
मनचाही चीज लेकर ही मानता है
स्याना बनने का प्रयत्न भी करता
दिमाग़ इनका होता बिल्कुल कच्चा,
मां पापा की गोद में इतराकर बैठता
घर आंगन को खुशियों से है भरता
खेलता कूदता व अठखेलियां करता
सभी को लगता छोटा बच्चा अच्छा।